प्राण शक्ति


                                          प्राण शक्ति             


जैसे जलाशय में बुलबुले उठते रहते है ,जैसे ज्वालामुखी से चिंगारियाँ निकलती रहती है ,जैसे हिमालय में गंगोत्री के मुख द्वार से जल निरंतर प्रबहित होता रहता है । जैसे सूर्य से किरणें सदा प्रसारित होती रहती है । वैसे ही प्राणशक्ति से निरंतर अनंत प्रकार के संकल्प फुरते रहते है । ये संकल्प ही अपनी – अपनी क्षमता के अनुसार अपना विस्तार कर समाप्त होते रहते है और नवीन नवीन संकल्प उनका स्थान लेते रहते है । यह उनका स्वाभाविक क्रम है । यदपि संकल्प अपनी अपनी क्षमता के अनुसार काम करते रहते है । यानी उत्तपन्न होते है वृद्धि करते है और समाप्त हो जाते है । तथापि प्राणशक्ति आधार रूप से समस्त संकल्पों की प्रत्येक क्रिया के साथ सदैव विद्यमान रहती है । जैसे एक व्यक्ति प्राणशक्ति के आधार पर जीवित रहता है वैसे ही व्यक्ति की जीवन लीला के समाप्त होने पर उसके मृत शरीर को पंचभूतों में मिलने की क्रिया भी प्राण-शक्ति के आधार पर होती है ।

जब प्रत्येक हल में आधार प्राणशक्ति है । तो उसे सर्वत्र समान रूप से व्यापक होना ही चाहिये । उदाहरण एक विशाल पीपल के पेड़ को लीजिये ।  उसकी सब से उपर की एक टहनी के एक पत्ते से पूछा जाये की वह किस के आधार पर स्थिर है तो वह यही कहेगा की जिस टेहनी से मैं जुड़ा हूँ उसके आधार से फिर यदि फिर उस टेहनी से पूछा जाये की तेरा आधार क्या है ? तो वह कहेगी की समीपस्थ डाली से ,फिर उस डाली से पूछा जाये की तेरा आधार कौन है तो वह कहेगी की समीपस्थ मोटी डाली से फिर उस मोटी डाली से पूछा जाय तो वह और मोटी डाली की ओर संकेत करेगी । फिर उस ओर मोटी डाली से उसका आधार पूछा जाय तो पेड़ के तने को कहेगी । अब पेड़ के तने से पूछा जाये तो वह कहेगी । अब पेड़ के तने से पूछा जाय तो वह कहेगा की मेरा आधार स्पष्ट तो नहीं दिखता पर आप देखना चाहें तो मेरे आसपास की धरती को खोद कर देखें तो आप देखेंगे की मेरा आधार पेड़ की जड़ है । अब यदि हम विचार करें की जड़ का आधार क्या है ? तो स्पष्ट अनुभव होगा की पृथ्वी ही जड़ का आधार है । इसी प्रकार हमें अनुभव होगा की पृथ्वी का आधार जल तत्व है । जल तत्व का आधार अग्नि है । अग्नि का आधार वायु है और वायु का आधार जो शक्ति है उसे ही प्राणशक्ति कहना चाहिये जिस से संकल्प उत्तपन्न होते रहते है । और यही सबका आधार है ।
शेष कल .................................................................. 

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Anonymous
16 December 2012 at 23:57

aur isi pran shakti se humara sharir bna hua hai

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17 December 2012 at 13:34

जी ये भी कहा सकते हैं ।

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