प्रभु की सच्ची भक्ति




जन साधारण की प्रायः यही धारणा होती है की प्रभु का नाम स्मरण , जप , तप , पुजा , पाठ आदि करना ही वास्तव में प्रभु भक्ति है और गृहस्थी के कामकाज में लगे रहना प्रभु भक्ति नहीं हो सकती । यह तो सांसरिक काम है जो मायाजाल में जीव को डाले रहते है । किन्तु विवेकी मैपन पुजा पाठ आदि के कम तथा गृह कार्य दोनों को माया के कार्य कहता है ।

माया त्रिगुणात्मक है । सत्वगुण , रजोगुण , तमोगुण त्रिगुण कहलाते है । पुजा पाठ आदि सत्वगुण के काम है । गृह कार्य आदि रजोगुण के कार्य है तथा जिन कामो के करने से न तो व्यक्ति का हित हो अथवा न अन्य का ही हित हो ऐसे काम तमोगुण के होते है । प्रभु माया ही सृष्टि की उत्पत्ति , पालन और संहार करती है । सृष्टि के समस्त प्राणी इन गुणों के अधीन ही बर्ताव करते है । ये गुण माया के अधीन है जबकि माया के कार्य प्रभुतत्व से प्रभावित होकर सम्पन्न होते है । माया को ही आदि शक्ति कहते है । शक्ति को ही आध्यात्मिक जगत में कुंडलिनी अथवा प्राणशक्ति कहते है । यही शक्ति माँ है । और जिस तत्व से शक्ति को चेतनता प्राप्त होती है उस तत्व को पिता कह सकते है । इस प्रकार सच्ची माता – पिता की भक्ति यही है की हम उनके अदशों का पालन करें । उनके आदेश सदैव प्रत्येक प्राणी के अन्तः से उभरते रहते है । इन आदेशों को हम स्वामी के आदेश कह सकते है आदेशों के पालन करने वाले को सेवक कहते है । अतः हमारा अस्तित्व सेवक का है ।

विचारणीय है की स्वामी उसी सेवक से प्रसन्न रहता है जो उसके काम करने में लगा रहता है । यदि कोई उनके आदेशानुसार काम कुछ नहीं करता केवल उनका नाम ही जपता रहे अथवा पुजा , पाठ आदि द्वारा स्तुति मात्र करता रहे उसे जन साधारण भले ही प्रभु भक्त कहे परंतु प्रभु उसे अपने काम का भक्त नहीं समझेंगे । केवल बातूनी ही कहेंगे जो कुछ समय के लिए पुजा पाठ आदि से अपना मनोरंजन करता रहता है । अस्तु , विवेकी मैपन अपने समस्त कामों को प्रभु के काम समझता है और उन्हें , उन्ही के लिये करता है । हाँ बोलचाल की भाषा में भले ही उन कामों को करते समय वह ये कहता रहे की मैं अपना काम कर रहा हूँ पर मन मीन सदैव स्मरण रखता है की मेरे सब काम प्रभु के ही है । इन्हें करने के लिये मेरा जन्म हुआ है । इस प्रकार जो भी काम किया जाता है , उसे वास्तव में यही कहा जाता है की काम के माध्यम से व्यक्ति द्वारा प्रभु की भक्ति की जा रही है । यही सच्ची प्रभु भक्ति है । 



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