एक दिल की पुकार ........








अब सौंप दिया इस जीवन का ,
       सब भार तुम्हारे हाथों में । सब भार तुम्हारे हाथों में

है जीत तुम्हारे हाथों में ,
       और हार तुम्हारे हाथों में ।  और हार तुम्हारे हाथों में

मेरा निश्चय बस एक यही ,
        एक बार  तुम्हें पा जाऊं मैं ।  एक बार  तुम्हें पा जाऊं मैं

अर्पण कर दूं दुनिया भर का ,
          सब प्यार तुम्हारे हाथों में । सब प्यार तुम्हारे हाथों में

जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ  ,
           ज्यों जल में कमल का फूल रहे । ज्यों जल में कमल का फूल रहे

मेरे सब गुण दोष समर्पित हों ,
            करतार (भगवान ) तुम्हारे हाथों में ॥
यदि मानव का मुझे जन्म मिले ,
तो तव चरणों का पुजारी बनू । तो तव चरणों का पुजारी बनू

 इस पूजक की एक - एक रग का , 
हो तार तुम्हारे हाथों में ॥ हो तार तुम्हारे हाथों में

जब जब संसार का कैदी बनू ,
निष्काम भाव से कर्म करूँ । निष्काम भाव से कर्म करूँ

फिर अंत समय में प्राण तजू , 
निराकार तुम्हारे हाथों में ॥ 

मुझ में तुझ में बस भेद यही , 
मैं नर हूँ तुम नारायण हो । मैं नर हूँ तुम नारायण हो । 
मैं हूँ संसार के हाथों में , 
संसार तुम्हारे हाथों में ॥ संसार तुम्हारे हाथों में ॥ 
  
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16 February 2013 at 21:56

बहुत सुन्दर रचना मन मोह लिया

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