God every where present: राहु – केतु

God every where present: राहु – केतु

God every where present: राहु – केतु: v परिचय – यह धुआँ जैसा , नीले रंग का , वनचर , भयंकर , प्रकृती का तथा बुद्धिमान होता है । - पराशर v इस ग्रह का शरीर आधा , ...
राहु – केतु

राहु – केतु

v  परिचययह धुआँ जैसा ,नीले रंग का , वनचर , भयंकर , प्रकृती का तथा बुद्धिमान होता है । - पराशर

v  इस ग्रह का शरीर आधा , महाबलवान , काजल के पहाड़ जैसा , अंधकाररूप , भयंकर , साँप जैसा , मुकुटयुक्त , भयंकर मुख से युक्त है । यह सिंहिका राक्षसी का पुत्र है । भक्तियोग अध्यत्मिक उन्नति , ज्ञान , मुक्ति , घर के खेल – कैरम , ताश पाँसे आदि ।

v  कारकत्व  – प्रवास का समय , रात्रि , सोए हुए प्राणी , जुआ तथा साँपो का कारक राहु है । व्रण , चर्मरोग , भूख फोड़े – फुंसी इन का कारक केतु है ।  - पराशर

v  ह्रदय , रोग , विषबाधा , पैर के रोग , पिशाच बाधा , पत्नी या पुत्र का दुख , ब्राह्मण और क्षत्रियों , शत्रु का भय , प्रेतबाधा , शरीर की मलिनता से रोग यह केतु के कारकत्व है ।



राहु का विवरण राशियों के अनुसार


1.       मेष – यह पुरुष राशि , अग्नि तत्व की है । यह मंगल की प्रधान राशि है । यह राहु क लिए अशुभ है ।

2.       वृषभ – यह स्त्री राशि , भूमि तत्व की राशि है । यह शुक्र की राशि है । यह राहु के लिए शुभ है ।

3.       मिथुन – यह पुरुष राशि , वायु तत्व की राशि है । यह बुध की प्रधान राशि है । राहु के लिए अशुभ है । पर कुछ ज्योतिषों के अनुसार ये राहु की उच्च राशि है ।

4.       कर्क – यह स्त्री राशि , जल तत्व की राशि है । यह चंद्रमा की प्रधान राशि है । यह राहु के लिए शुभ है ।

5.       सिंह – यह पुरुष राशि , अग्नि तत्व की राशि है । यह सूर्य की प्रधान राशि है । यह राहु की प्रिय राशि है ।

6.       कन्या – यह स्त्री राशि , प्रथ्वी तत्व की राशि है । यह बुध की राशि है । राहु के लिए अशुभ है ।

7.       तुला – यह पुरुष राशि , आद्र , उष्ण राशि है । यह शुक्र की प्रधान राशि है । राहु के लिए अशुभ है ।

8.       वृचिक – यह स्त्री राशि , शीत जलतत्व की राशि है । यह मंगल की राशि है । यह राहु की प्रिय राशि है ।

9.       धनु – यह पुरुष राशि , अग्नि तत्व की राशि है । यह गुरु की प्रधान राशि है । यह राहु के लिए अशुभ है ।

10.   मकर – यह स्त्री राशि , प्रथ्वी तत्व की राशि है । यह शनि की राशि है । यह राहु की लिए शुभ है ।

11.   कुम्भ – यह पुरुष राशि है । यह शनि की प्रधान राशि है । यह राहु के लिए अशुभ है ।

12.   मीन – यह स्त्री राशि है । यह जलतत्व राशि है । यह गुरु की राशि है । यह राहु के लिए शुभ है ।   
God every where present: बारहवें भाव में शनि के प्रभाव और उपाय

God every where present: बारहवें भाव में शनि के प्रभाव और उपाय

God every where present: बारहवें भाव में शनि के प्रभाव और उपाय: 1. जन्मकुंडली के बारहवें घर में शनि की उपस्थिति अनिष्ट फलदायी मानी गई है । ऐसा व्यक्ति धन से हिन , पुत्र सुख से वंचित , विकल...
बारहवें भाव में शनि के प्रभाव और उपाय

बारहवें भाव में शनि के प्रभाव और उपाय



1.       जन्मकुंडली के बारहवें घर में शनि की उपस्थिति अनिष्ट फलदायी मानी गई है । ऐसा व्यक्ति धन से हिन , पुत्र सुख से वंचित , विकलांग (शरीर के किसी भाग में कुछ न कुछ परेशानी होती है ) और मूर्ख होता है ।
2.       बारहवें भाव में शनि दाँतो को तो खराब करता ही है परंतु आंखों को भी नुकसान पहुँचता है ।
3.       शनि अगर लग्न का मालिक हो तो पैत्रक स्थान से दूर प्रगति करवाता है ।
4.       व्यक्ति अनेकानेक व्यक्तियों का नेत्रत्व करता है ।
5.       जिस व्यक्ति के बारहवें घर में शनि हो , वह परिवार को दुख देने वाला होता है ।
6.       उसकी आँखें छोटी – छोटी एवं निर्ल्लज होती है ।
7.       व्यक्ति का स्वभाव कड़वा , किसी पर विश्वास न करने वाला होता है ।
8.       यात्राओं का इन्हें विशेष शौक होता है तथा यात्रा से लाभ भी रहता है ।
9.       शिक्षा के हिसाब से व्यक्ति साधारण ही होते है ।
10.   व्यक्ति जीव जगत से विरक्त हो जाता है ।
11.   प्रथम संतान कन्या होती है ।
ऐसा व्यक्ति चिरकालिक सुयश प्राप्त करता है ।

बारहवें भाव में शनि के लाल किताब के उपाय


·         प्रथम जातक झूठ न बोले ।
·         शराब और माँस से दूर रहें ।
·         चार सूखे नारियल बहते पनि में परवाहित करें ।
·         शनि यंत्र धारण करें ।
·         शनिवार के दिन काले कुत्ते ओर गाय को रोटी खिलाएँ ।
·         शनिवार को कडवे तेल , काले उड़द का दान करे ।
सर्प को दूध पिलाएँ 

God every where present: एकादश भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

God every where present: एकादश भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

God every where present: एकादश भाव में शनि का प्रभाव और उपाय: 1. यदि कुंडली के एकादश भाव में शुभ शनि हो तो व्यक्ति उत्तम आय वाला , शूर निरोगी , धनी , लम्बी आयु और स्थिर संपत्ति वाला प्...
एकादश भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

एकादश भाव में शनि का प्रभाव और उपाय


1.       यदि कुंडली के एकादश भाव में शुभ शनि हो तो व्यक्ति उत्तम आय वाला , शूर निरोगी , धनी , लम्बी आयु और स्थिर संपत्ति वाला प्रपंच शिरोमणि तथा अनेक आयामों सौभाग्यशालि सिद्ध होता है ।
2.       उसे स्वास्थ्य की गंभीर समस्या कभी नहीं होती । वह निश्चिन्त रहता है ।
3.       अगर एकादश भाव में शनि नीच का होतो वह आदमी हमेशा दुखी रहता है ।
4.       प्राप्त धन रुकता है तथा लाभ भी प्राप्त होता है । इच्छित विध्या पूर्ण नहीं हो पाती है ।
5.       ऐसे व्यक्ति के एकादश भाव में शनि होता है वह कुशल प्रशासक उच्च पदस्थ अधिकारी होता है । तथा समाज में सम्मान होता है ।
6.       ऐसे व्यक्ति के पास आय के कई स्त्रोत होते है । जिनसे स्थायी आमदनी होती रहती है ।
7.       परिवार में भी ऐसे व्यक्ति का सम्मान होता है । तथा जीवन के 36वें वर्ष के बाद से पूर्ण भाग्योदय होता है ।
8.       सामान्यत: एकादश भाव में शनि पुत्र संतान हेतु शुभ नहीं होता ।
9.       ऐसा शनि किसी भी कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न नहीं होने देता ।
10.   व्यक्ति को शासन से बहुमुखी स्थायी लाभ अवश्य हो सकता है ।




एकादश भाव में शनि के लाल किताब के उपाय  



·         शराब और माँस से दूर रहें ।
·         मित्र के वेश मे छुपे शत्रुओ से सावधान रहें ।
·         सूर्योदय से पूर्व शराब और कड़वा तेल मुख्य दरवाजे के पास भूमि पर गिराएँ ।
·         परस्त्री गमन न करें ।
·         शनि यंत्र धारण करें ।
·         कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें ।
·         कौवों को दना खिलाएँ ।
God every where present: दशम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

God every where present: दशम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

God every where present: दशम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय: 1. दशवें भाव में शनि हो तो वह आदमी न्यायप्रिय , अधिकार पाने वाला , राज्य का योग , होशियार , पेट की पीड़ा से परेशान , परि...
दशम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

दशम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

1.        दशवें भाव में शनि हो तो वह आदमी न्यायप्रिय , अधिकार पाने वाला , राज्य का योग , होशियार , पेट की पीड़ा से परेशान , परिश्रमी , लड़ाई में जीत प्राप्त करने वाला होता है ।
2.       दशम भाव में शनि की स्थिति व्यक्ति को धनवान बनाती है । नौकरी में व्यक्ति प्रगति करता है ।
3.       जीवन ऐशो – आराम से बिताना इनका ध्येय होता है ।
4.       योगी स्वभाव के ऐसे व्यक्ति परिस्थिति को समझकर कार्य करने वाले होते है ।
5.       इनके रहन – सहन में प्रदर्शन अधिक रहता है । अनेकानेक खर्चे भी आते रहते है ।
6.       माता – पिता के विचारों से मेल नहीं खाते , फलस्वरूप पारिवारिक कलह बनी रहती है ।
7.       इस भाव में शनि की स्थिति अपना एक विशेष महत्व रखती है । व्यक्ति के सम्पूर्ण कर्मक्षेत्र पर शनि के प्रभाव का सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव दिखाई देता है ।
8.       इनका वैभव स्वार्जीत होता है । इन्हें कोषाधिकारी अथवा दंडाधिकारी के महत्वपूर्ण पद प्राप्त होते है ।
9.       व्यक्ति पैत्रक संपत्ति का उपयोग नहीं कर पाता , परंतु अपने व्यापार से वह भौतिक सुख – यश प्राप्त करता है ।
10.   दशम भाव में शनि पिता का नाश करता है ।
11.   भाग्योदय जन्म भूमि से दूर होता है । व्यक्ति न्यायालय , पुलिस , सेना अथवा तकनीकी कार्यो से आजीविका प्राप्त करता है ।
12.   स्थानीय प्रशासनिक संस्थाओं की सदस्यता प्राप्त हो सकती है ।


  दशम भाव में शनि के लाल किताब के उपाय 



·         पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें ।
·         आप अपने कमरे के पर्दे , बिस्तर का कवर , दीवारों का रंग आदि पीला रंग की करवाएँ यह आप के लिए उत्तम रहेगा ।
·         पीले लड्डू गुरुवार के दिन बाँटे ।
·         आपने नाम से मकान न बनवाएँ ।
·         अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाए ।
·         शनि यंत्र धारण करें ।
·         जब भी आपको समय मिले शनि दोष निवारण मंत्र का जाप करे ।
नवम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

नवम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय




नवम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय

1.       नवम भाव में शनि हो तो वह आदमी जड़ बुद्धि वाला , लकीन स्वभाव मीठा होता है
2.       नवम भाव में शनि होतो शनि की महादशा में महात्मा बन सकता है ।
3.       नवम भाव में शनि होतो घूमने वाला , पतला शरीर , धार्मिक , माताहीन तथा विरोधियों का नाश करने वाला होता है ।
4.       जिस मनुष्य के नवम भाव में शनि होता है । वह व्यक्ति बोलचाल एवं राजनीति में अच्छा होता है ।
5.       जीवन की प्रारंभिक विकास सामान्य ही होता है । परंतु समर्थ होने पर वह परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाकर उन्नति करता है ।
6.       जीवन का उद्देश हमेशा नजर में रहता है । तथा जो भी कार्य करता है , वह सोच – समझ कर करता है ।
7.       पढ़ाई लिखाई के समय में तथा आजीविका के लिए इसे कठोर श्रम करते रहना पड़ता है ।
8.       यह श्रम का मूल्य एवं महत्व समझता है तथा श्रम के बल पर ही उन्नति भी करता है । भाग्य इसके अनुकूल रहता है
9.       ऐसा व्यक्ति दुर्जन भी होता है ।
10.   मेष , सिंह , मिथुन , व्रश्चिक , मीन राशि पर नवम भाव में शनि से व्यक्ति 36वें वर्ष के बाद उन्नति के आवसर प्राप्त करता है ।
11.   शादी विवहा विलंब से एवं अपारंपरिक नीति से होता है । प्रवास काल में विदेशी पत्नी का भी योग सम्भव है ।





नवम भाव में शनि के लाल किताब के उपाय

·         पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें ।
·         साबुत मूंग मिट्टी के बर्तन में भरकर नदी में प्रवाहित करें ।
·         साव 6 रत्ती का पुखराज गुरुवार को धारण करें ।
·         कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें ।
·         हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएँ ।
·         शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डाले ।
God every where present: आर्थिक और व्यवसाय में सफलता के अचूक उपाय

God every where present: आर्थिक और व्यवसाय में सफलता के अचूक उपाय

God every where present: आर्थिक और व्यवसाय में सफलता के अचूक उपाय: 1. धन रखने के स्थान पर या तिजोरी में हमेशा लाल वस्त्र बिछाएँ । 2. यदि आपके पास धन रुकता नहीं है तो महीने के पहले शुक्रव...
आर्थिक और व्यवसाय में सफलता के अचूक उपाय

आर्थिक और व्यवसाय में सफलता के अचूक उपाय


1.        धन रखने के स्थान पर या तिजोरी में हमेशा लाल वस्त्र बिछाएँ ।
2.       यदि आपके पास धन रुकता नहीं है तो महीने के पहले शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी , नागकेसर व सिंदूर को साथ रखकर भगवती लक्ष्मीजी के चरणो से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें । फिर इसका प्रभाव देखें ।
3.       संध्या के समय गुरुवार के दिन लोबान की धूनी घर – व्यापार में देने से धन की आवक बढ़ती है ।
4.       भोजन करने से पहले गाय , कुत्ता और कौओ के लिए एकेक रोटी निकाल दें । इस क्रिया से कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा ।
5.       यदि शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से तीन गुरुवार तक गरीबों में मीठे तथा पीले चावल बांटे जाए तो शीघ्र ही धन लाभ होने लगेगा ।
6.       यदि आपके आर्थिक कार्य सिद्ध होते - होते रुक जाते हों तो पीले सूत के धागे में सफ़ेद चन्दन के 1 टुकड़े को बांधकर किसी केले के व्रक्ष पर लटका आएं । शीघ्र ही इसका प्रभाव देखने को मिल जाएगा । 
7.       शनिवार के दिन पीपल का एक अखंडित पत्ता तोड़ लें । उसे गंगाजल से धोकर उसके ऊपर हल्दी तथा दही के घोल से अपने दाएं हाथ की अनामिका उंगली से एक वर्ग के भीतर “ ह्री 
लिख दें । उसे धूप – दीप देखाकर और पत्ता मोड़कर अपने पर्स में रख लें । इसी प्रकार हर शनिवार को पर्स में पत्ता बदलते रहें । तथा पुराना पत्ता घर के बाहर किसी पवित्र स्थान पर डालते रहें । कम से कम 11 शनिवार यह क्रिया करें ।
8.   यदि आप चाहते है की आप के घर में आर्थिक संपन्नता बनी रहे और धन का आगमन कभी न रुके तो सोमवार के दिन श्मशान में स्थित महादेव मंदिर में जाकर दूध और शहद मिलाकर चढ़ाएं ।
9.   घर के मुख्य दरवाजे पर शनिवार के सरसों के तेल का दीपक जलाएँ और दीपक बुझ जाने पर यदि तेल बचा हो , तो पीपल के व्रक्ष पर संध्या के समय चढ़ा दें । इस प्रकार 7 शनिवार करने से धन का अभाव नहीं रहता ।
10. काली बिल्ली की जेर को तिजोरी या गल्ले में रखकर धूप – दीप देते रहने से जीवन में कभी भी रुपया  – पैसा की कमी नहीं रहती ।
11.  कपूर एवं रोली को जलाकर उसकी राख बना लें । यह राख गल्ले में रखें , इससे व्यापार बढेगा ।
12. यदि आपका व्यवसाय कम चल रहा है तो महीने के पहले गुरुवार को पीले कपड़े में काली हल्दी , 11 गोमती चक्र , 1 चांदी का सिक्का और 11 कौड़ियाँ बांधकर 108 बार निम्नलिखित मंत्र का जप कर अपने कार्य स्थल अथवा दुकान आदि के पवित्र स्थान में राख दें । मंत्र –-
           ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
13.   चांदी की कटोरी में थोड़ा – सा सूखा धनिया रखकर उसमें चांदी के लक्ष्मी – गणेश की मूर्ति रखें । इस कटोरी को दुकान या व्यवसायिक स्थल से पूर्व दिशा में रख दें तथा प्रतिदिन प्रात: पाँच अगरबत्ती जलाकर इनका पूजन करें । आप का व्यवसाय तेजी से चलने लगेगा । 
अष्टम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय  with in English

अष्टम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय with in English


अष्टम भाव में शनि का प्रभाव
1.        अष्टम भाव में शनि हो तो आदमी बंधु तथा परिवार से बैरभाव रखता है ।
2.       अष्टम भाव का शनि हो तो  व्यक्ति को लंबी उम्र प्राप्त करता है ।
3.       अष्टम भाव में शनि हो तो व्यक्ति घर से दूर रहकर आजीविका प्राप्ति में कष्टरत रहता है ।
4.       ऐसे व्यक्ति को परिवार से विशेष प्यार नहीं मिलता ।
5.       यदि शनि क्षीण होता है तो चोरी के इल्जाम में पकड़ा जाता है । या इस व्यक्ति पर झूठा मुकदमा चलता है ।
6.       कई बार व्यक्ति को गलतफहमियों के कारण इसे बुरा समझ लिया जाता है ।
7.       अष्टम भाव में शनि हो तो व्यक्ति कई बार अच्छे – बुरे का ध्यान नहीं रखता ।
8.       वह विवेकवान व्यक्तियों के निकट नहीं रहता  ।
9.       स्वदेश से परे रहकर वो कष्ट भोगता है ।
10.   तुला , मकर , और कुम्भ राशि का शनि अष्टम भाव में वैवाहिक संबंध से धन लाभ कराता है ।
11.   अष्टम भाव के शनि से संभव है की व्यक्ति को मृत्यु का पूर्वाभास हो जाए ।
12.   व्यक्ति 75 वर्ष का जीवन भोगता है , निम्न स्त्री सहवासी एवं आजीविका पीड़ित होता है ।

अष्टम भाव में शनि के लाल किताब क उपाय
·         गले में चाँदी की चेन धारण करें ।
·         शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे ।
·         शनिवार के दिन आठ किलो उड़द बहती नदी में प्रवाहित करें । उड़द काले कपड़े में बांध कर ले जाएँ और बंधन खोल कर ही प्रबहित करें ।
·         सोमवार के दिन चावल का दान करना आपके लिए उत्तम हैं ।
·         काला कुत्ता पालें और उसका पूरा ध्यान रखें ।


IN ENGLISH  


                                                VIII Influence of Saturn in the sense


1. VIII, the man sat in the sense of brotherhood and family is malice

2. VIII Sat sense if the person receives longevity.
3. VIII sense if Saturn is Kshtrt in receipt of a living person being away from home.
4. A person does not love the family special.
5. If Saturn is weak has been arrested on charges of breaking and entering. Or the person that runs a false case.
6. Many times the person because of misunderstandings, it is considered bad.
7. VIII house several times, then sat in the sheep and goats do not care.
8. He is not near Vivekwan individuals.
9. Home beyond the suffering she is staying.
10. Libra, Capricorn, Aquarius and the Sun VIII funds benefit from marriage makes sense.
11. VIII expressions Saturn is a precursor to the possible death of the person.

12. Person indulges a life of 75 years, the female partner and career would suffer.





                         Saturn's Red Book VIII of the measure in the sense

• Hold the neck a silver chain.
• to give up alcohol and not to eat meat.
• Saturday to eight-pound black flowing river. Black in black clothes to pack and move and loose the same Prabhit.
• Monday to donate rice are good for you
.• black dog a lot, and take care of her.








ईश्वरीय कृपा से धन

ईश्वरीय कृपा से धन

NO - 1

आप अपने निवास स्थान में उत्तर-पूर्व दिशा में एक साफ़ जगह पर स्थान चुन लीजिये,उस स्थान को गंदगी आदि से मुक्त कर लीजिये,फ़िर एक साफ़ लकडी का पाटा उस स्थान पर रख लीजिये,और एक चमेली के तेल की सीसी,पचास मोमबत्ती सफ़ेद और पचास मोमबत्ती हरी और एक माचिस लाकर रख लीजिये। अपना एक समय चुन लीजिये जिस समय आप जरूर फ़्री रहते हों,उस समय में आप घडी मिलाकर ईश्वर से धन प्राप्त करने के उपाय करना शुरु कर दीजिये। पाटे को पानी और किसी साफ़ कपडे से साफ़ करिये,एक हरी मोमबत्ती और एक सफ़ेद मोमबत्ती दोनो को चमेली के तेल में डुबोकर नहला लीजिये,दोनो को एक माचिस की तीली जलाकर उनके पैंदे को गर्म करने के बाद एक दूसरे से नौ इंच की दूरी पर बायीं (लेफ़्ट) तरफ़ हरी मोमबत्ती और दाहिनी (राइट) तरफ़ सफ़ेद मोमबत्ती पाटे पर चिपका दीजिये। दुबारा से माचिस की तीली जलाकर पहले हरी मोमबत्ती को और फ़िर सफ़ेद मोमबत्ती को जला दीजिये,दोनो मोमबत्तिओं को देखकर मानसिक रूप से प्रार्थना कीजिये "हे धन के देवता कुबेर ! मुझे धन की अमुक (जिस काम के लिये धन की जरूरत हो उसका नाम) काम के लिये जरूरत है,मुझे ईमानदारी से धन को प्राप्त करने में सहायता कीजिये",और प्रार्थना करने के बाद मोमबत्ती को जलता हुआ छोड कर अपने काम में लग जाइये। दूसरे दिन अगर मोमबत्ती पूरी जल गयी है,तो उस जले हुये मोम को वहीं पर लगा रहने दें,और नही जली है तो वैसी ही रहने दें,दूसरी मोमबत्तियों को पहले दिन की तरह से ले लीजिये,और पहले जली हुयी मोमबत्तियों से एक दूसरी के नजदीक लगाकर जलाकर पहले दिन की तरह से वही प्रार्थना करिये,इस तरह से धीरे धीरे मोमबत्तिया एक दूसरे की पास आती चलीं जायेगी,जितनी ही मोमबत्तियां पास आती जायेंगी,धन आने का साधन बनता चला जायेगा,और जैसे ही दोनो मोमबत्तियां आपस में सटकर जलेंगी,धन प्राप्त हो जायेगा। जब धन प्राप्त हो जाये तो पास के किसी धार्मिक स्थान पर या पास की किसी बहती नदी में उस मोमबत्तियों के पिघले मोम को लेजाकर श्रद्धा से रख आइये या बहा दीजिये,जो भी श्रद्धा बने गरीबों को दान कर दीजिये,ध्यान रखिये इस प्रकार से प्राप्त धन को किसी प्रकार के गलत काम में मत प्रयोग करिये,अन्यथा दुबारा से धन नही आयेगा।


NO – 2

दूसरे प्रकार के उपाय में कुछ धन पहले खर्च करना पडता है,इस उपाय के लिये आपको जो भी मुद्रा आपके यहां चलती है आप ले लीजिये जैसे रुपया चलता है तो दस दस के पांच नोट ले लीजिये डालर चलता है तो पांच डालर ले लीजिये आदि। बाजार से पांच नगीने जैसे गोमेद एमेथिस्ट जेड सुनहला गारनेट ले लीजिये,यह नगीने सस्ते ही आते है,साथ ही बाजार से समुद्री नमक भी लेते आइये। यह उपाय गुरुवार से शुरु करना है,अपने घर मे अन्दर एक ऐसी जगह को देखिये जहां पर लगातार सूर्य की रोशनी कम से कम तीन घंटे रहती हो,एक पोलीथिन के ऊपर पहले पांच नोट रखिये,उनके ऊपर एक एक नगीना रख दीजिये,और उन नगीनो तथा नोटों पर समुद्री नमक पीस कर थोडा थोडा छिडक दीजिये और उन्हे सूर्य की रोशनी में लगातार तीन घंटे के लिये छोड दीजिये। तीन घंटे बाद उन नोटों और नगीनों को समुद्री नमक को उसी पोलीथीन पर पर साफ़ कर लीजिये,और उस पोलीथिन वाले नमक को अपने घर के मुख्य दरवाजे पर डाल दीजिये,उन नगीनों और नोटों को अपने पर्स में रख लीजिये,अगर कोई तुम्हारा जान पहिचान का या कोई रिस्तेदार तुम्हारे पास आता है तो उसे एक नगीना कोई सा भी उसी गुरुवार को यह कहकर दीजिये कि यह नगीना भाग्य बढाने वाला है,और एक नोट उनमें से किसी बच्चे को बिस्कुट लाने के लिये या किसी प्रकार बिल चुकाने के काम में उसी दिन ले लीजिये,दूसरे गुरुवार को दूसरा नगीना किसी को फ़िर दान कर दीजिये और एक नोट किसी बच्चे या किसी प्रकार के घरेलू खर्चे में खर्च कर दीजिये,यही क्रम लगातार चार गुरुवार तक करना है,पांचवे गुरुवार को बचा हुआ एक नगीना और नोट अपनी तिजोरी या धन रखने वाले स्थान में रख लीजिये,आपके पास लगातार धन का प्रवाह शुरु हो जायेगा,उस धन में से 3% दान करते रहिये,जब तक वह नगीना और नोट आपके पास रहेगा,धन की कमी नही आ सकती है।


NO - 3


अधिकतर मामलों में व्यापार करते हुये धन की कमी होती है,लगातार प्रतिस्पर्धा के कारण लोग व्यवसाय को काटते है,और ग्राहकों को अपनी तरफ़ आकर्षित करते है,अपनी बिजनिस बढाने के लिये तांत्रिक उपाय करते है,और उन तांत्रिक उपायों को करने के बाद खुद तो उल्टा सीधा कमाते है,लेकिन अपने सामने वाले को भी बरबाद करते है तथा कुछ दिनों में उनके द्वारा किये गये तांत्रिक उपायों का असर खत्म हो जाने पर दिवालिया बन कर घूमने लगते है। अपने व्यवसाय स्थल से नकारात्मक ऊर्जा को हटाने और ग्राहकी बढाने का तरीका आपको बता रहा हूँ, इस तरीके को प्रयोग करने के बाद आप खुद ही महसूस करने लगेंगे ।
सोमवार के दिन किसी नगीने बेचने वाले से तीन गारनेट के नग खरीदकर लाइये,और रात को उन्हे किसी साफ़ कांच के बर्तन में पानी में डुबोकर खुले स्थान में रख दीजिये,उन नगों को लगातार नौ दिन तक यानी अगले मंगलवार तक उसी स्थान पर रखा रहने दीजिये,और मंगलवार की शाम को उन नगीनों को मय उस पानी के उठा लीजिये,बुधवार को उस पानी से नगीनों को अपने व्यवसाय वाले स्थान पर निकाल लीजिये और पानी को व्यवसाय स्थान के सभी कोनों और अन्धेरी जगह पर कैस काउन्टर और टेबिल ड्रावर के अन्दर छिडक दीजिये,तथा उन नगीनों को (तीनों को) अपनी टेबिल पर सजाकर सामने रख लीजिये,इस प्रकार से आपके व्यापारिक स्थान की नकारात्मक ऊर्जा बाहर चली जायेगी,और सकारात्मक ऊर्जा आने लगेगी । नगीनों को सम्भाल कर रखे,जिससे कोई उन्हे ले न जा सके।


NO – 4

बच्चे को सही रास्ते पर ले जाने के लिये वैदिक रूप से कुछ उपाय बताये गये है,उनको आप लोगों के लिये लिख रहा हूँ।
 रात को सोते समय बच्चे के सिरहाने उसकी दाहिनी तरफ़ पानी का एक लोटा या गिलास रखना चाहिये,जिससे रात को सोते समय कुविचार उसके सुषुप्त मस्तिक पर असर नही दे पायें।
 बच्चे के जगने पर उसके पास जरूर उपस्थित रहें,जितना बच्चा जगने के बाद आपको देखेगा,उतना ही वह दिन भर आपकी तस्वीर को वह अपने दिमाग में रखेगा,अधिक समय तक आपको अपने सामने पाने पर वह कभी आपको अलग नही कर पायेगा,और गल्ती करने पर आपकी ही तस्वीर उसके दिमाग में आकर उसे गलत काम से रोकेगी।
बच्चे को अपने हाथ से खाना परोसना चाहिये,बनाया चाहे किसी ने भी हो,उसे बच्चे की रुचि के अनुसार अगर आपके हाथ से परोसा गया है तो वह उसके शरीर में उसी तरह से लगेगा जिस प्रकार से बचपन में माँ का दूध लगता है।
 बच्चे को दूसरों की नजर जरूर लगती है,चाहे वह अपने ही घर वालों की क्यों न हो,शाम को बच्चा जब बिस्तर पर सोने जाये तो एक पत्थर को बच्चे के ऊपर से ओसारा करने के बाद किसी पानी से धोकर एक नियत स्थान पर रख देना चाहिये,जिस दिन खतरनाक नजर लगी होगी या कोई बीमारी परेशान करने वाली होगी,वह पत्थर अपने स्थान पर नही मिलेगा,अथवा टूटा मिलेगा।

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