1.
यदि जन्मकुंडली में शनि षष्ठम घर में शनि हो तो व्यक्ति बहुत
भोजन करने वाला धनी अपने शत्रुओं का नाश करने वाला और अभिमानी होता है ।
2.
चोर एवं शत्रु उसकी कोई क्षति नहीं कर सकते ।
3.
उत्तम भोजन का शौकीन होता है तथा स्वादिष्ट भोजन क लिए लालायित
रहता है ।
4.
साहस , वीरता , टिके रहना तथा
सूझ – बूझ इसमें बहुत मात्रा में होती है ।
5.
इसके नीचे काम करने वाले कर्मचारी इसके लिए लाभदायक नहीं रहते
6.
जातक को मित्रों की ओर से धोखा खाना पड़ता है ।
7.
यदी शनि मंगल छठे भाव में साथ होतो पेट का ऑपरेशन होता है ।
8.
राहु तथा शनि एक साथ स्त्री की कुंडली में होतो हिस्टीरिया रोग
उत्पन्न कर देता है ।
9.
प्रसिद्धि एवं वैभव इन दोनों में से व्यक्ति को केवल एक का सुख
प्राप्त होता है ।
10.
नीच राशि का शनि निम्न कोटि के शत्रुओं को उत्पन्न करता हैं
और अपनी राशि के शनि से शत्रु स्वयं नष्ट होते
है ।
षष्ठम भाव में शनि के लाल किताब के उपाए
- चमड़े के जूते , बैग , अटैची आदि का प्रयोग न करें ।
- शनिवार का व्रत करें ।
- चार नारियल बहते पनि में प्रवाहित करें । ध्यान रहे , गंदे नाले मे नहीं करें , परिणाम बिल्कुल उल्टा होगा ।
- हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएँ ।
- शनि यंत्र धारण करें ।