1.
अगर कुंडली में तीसरे भाव में शनि होतो जातक बुद्धिमान और
उदार होता हैं , तथा इसे स्त्री का सुख भी प्राप्त होता हैं , किंतु वह आलस्य से भरपूर मलिन देह वाला , नीच
प्रवर्ती का होता हैं । चित में हमेश
अशांति ऐसे शनि के प्रभाव हैं ।
2.
आपने लोगो से संघर्षपूर्ण स्थितियो और कठोर परिश्रम के बाद
भी मिलने वाली असफलता जातक को परेशान करती हैं ।
3.
सोभाग्य के उदय में विभिन्न बधाये प्रकट होती हैं ।
4.
अनेक लोग अवलंबित रहते हैं । भाइयो से तनावपूर्ण संबंध रहते
हैं और कलेश प्राप्त होता हैं ।
5.
तीसरे भाव क शनि कुंडली जब होते हैं तब जातक को माता पिता
से मात्र आशीर्वाद क अलावा और कुछ प्राप्त नहीं होता ।
6.
पुरुष राशि में शनि तीसरे भाव में संतान जल्दी होती हैं , परंतु
गर्भपात की समभावनए प्रबल रहती हैं ।
7.
पाप ग्रह युक्त शनि से भइयो का अहित करता हैं । पापयुक्त
शनि से भाई जातक से दुएष रखने वाले होगे ।