वास्तु में भवन निर्माण में शेषनाग का विचार अवश्य करें















एक मनुष्य के जीवन मे सब से महत्वपूर्ण तीन चीजें होती है रोटी ,कपड़ा और मकान मनुष्य की यही मूल अवश्यकता है बाकी सब इसके बाद है पूरा जीवन इसी के लिए संघर्ष पूर्ण होता है और ये तीनों चीजें धन से  संभव होती है । धन वर्तमान युग मे ईश्वर से कम नहीं है ।इसकी प्राप्ति के बाद मनुष्य भोजन की व्यसथा करता है बाकी के धन को कपड़े और मकान मे खर्च करता 
मकान किसी भी मनुष्य की आर्थिक समर्थता को दिखाता है ।अपने जीवन की पाई पाई जोड़कर मकान बनाता है और प्रयास करता है की मकान उसके लिए खुशियाँ ,वैभवका कारक बने ।  
मकान बनाते वक़्त हर चीज का विचार करता है।

जैसे :- दिशा,रास्ता , पड़ोस , माहौल वास्तु आदि आदि चीजें ध्यान मे रखता है पर इतना करने के बाद भी देखा गया है की लोग नये मकान मे प्रवेश करने के बाद उन्नति रुक जाती है , बीमारियाँ घर मे निवास करने लगती है , कलहा परिवार के सदस्यों दूर करने लगती है ।घर का वास्तु सही होने के बाद भी अगर समस्या आ रही है तो देखें कहीं समस्यों का मूल आपकी घर की नीव मे तो नहीं है ।  

नीचे दिये गये सूत्रों का नीव भरवाते वक़्त ध्यान रखें और जीवन को सुख और समृद्धि से पूर्ण करें ।   



भवन निर्माण में शेषनाग का विचार अवश्य करें  
 एन्द्रियाम सिरों भाद्रपदः त्रिमासे। याम्याम शिरो मार्ग शिरस्त्रयम च । फाल्गुनी मासाद दिशि पश्चिमीयाम  ज्येष्ठात त्रिमासे च तिथोत्तरेशु ।। 

{}भाव भाद्रपद ,आश्विन ,एवं कार्तिक {सितम्बर ,ओक्ट्बर ,नवम्बर } 
इन तीन महीनों में शेषनाग का सिर पूर्व दिशा में रहता है । 

 {} मार्गशीर्ष ,पौष ,एवं माघ {दिसंबर ,जनवरी ,फरवरी }इन तीन मासों में शेषनाग का सिर दक्षिण दिशा में रहता है ।। 

 {} फाल्गुन ,चैत्र ,वैशाख मार्च ,अप्रैल ,मई }-इन तीनों मासों में शेषनाग का सर पश्चिम दिशा में रहता है । 

 {} ज्येष्ठ ,आषाढ़ ,एवं श्रावण{जून ,जुलाई ,अगस्त }इन तीनों मासों में शेषनाग का सिरउत्तर दिशा में रहता है ।। 

 
"शिरः खनेत मात्री पितरोश्चा हन्ता खनेत पृष्ठं भयरोग पीड़ा । तुछ्यम खनेत त्रिशु गोत्र हानिः स्त्री पुत्र लाभों वाम कुक्षो ।
 अर्थात -जो कोई शेषनाग के सिर [मुख पर से मकान की नीव रखकर चिनाई शुरू कर दे -तो उस मकान मालिक के माता पिता को हानी पहुँचती है । पीठ पर चिनाई करने से भय एवं रोग से पीड़ित रहते हैं भूमिपत्ति।पूंछ पर चिनाई करने से वंशावली दोष से पीड़ित हो जाते हैं मकान के स्वामी ।और खली जगह पर चिनाई करने से पत्नी को कष्ट होता है ,एवं पुत्र ,धन की भी हानी होती है ।। 
 
अतः जब सूर्यदेवसिंह ,कन्या,तुला राशि में हों तोअग्नि दिशा में खोदें एवं चिनाई शुरू करें । 
 जब सूर्य देव वृश्चिक ,धनु ,या मकर राशि में हों तो ईशान कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए ।
 जब सूर्यदेव -कुम्भ ,मीन या मेष राशि में हों तो वायव्य कोण में चिनाई शुरू करनी चाहिए ।
 जब सूर्य देव -वृष ,मिथुन या कर्क राशि में हों तो चिनाई नैऋत्य कोण से शुरू करें । 


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जय माई की

  

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