पंचम भाव में शनि का प्रभाव  और उपाय

पंचम भाव में शनि का प्रभाव और उपाय



पंचम भाव में शनि का प्रभाव
    1.       पांचवे भाव में शनि के बारे फलदीपिका में बताया गया है की ऐसा जातक शैतान और दुष्ट बुद्धि वाला होता है । तथा ज्ञान , सुत , धन तथा हर्ष इन चारों से रहित होता है अर्थात इनके सुख में कमी करता है ।
    2.       ऐसा जातक भ्रमण करता है अथवा उसकी बुद्धि भ्रमित रहती है ।
    3.       अगर पंचम भाव में शनि हो तो वह आदमी ईश्वर में विश्वास नहीं करता और मित्रों से द्रोह करता है तथा पेट पीड़ा से परेशान , घूमने वाला , आलसी और चतुर होता है ।
    4.       जिनके पंचम भाव में शनि होता है , उसका दिमाग फिजूल विचारों से ग्रस्त रहता है ।
    5.       व्यर्थ की बातों में वह अधिक दिमाग खपाता है एवं मंदमती होता है । आय से ज्यादा खर्च      अधिक करता है ।
    6.       यदि शनि उच्च का होकर पंचम हो तो जातक के पैरों में कमजोरी ला देता है ।
    7.       पीड़ित शनि लॉटरी , जुआ , सट्टा , अथवा रेस के माध्यम से धन की हानि करता हैं ।
    8.       मेष , सिंह , धनु राशि का शनि , जातक में अहम का उदय करता है । जातक अपने विचारों को गोपनीय रखता है ।
    9.       अनिश्चित वार्तालाप का आदी होता है । जातक किसी प्रकार की स्वार्थसिद्धि में कुशल होता है ।
   10.    ऐसे जातक बैंक , जिला परिषद , सामाजिक संस्था , विधानसभा , संसद एवं रेलवे आदि में अधिकारी होते है ।



पंचम शनि के लाल किताब के उपाय

   ·         पुत्र के जन्मदिन पर नमकीन वस्तुएं बांटनी चाहिए । मिठाई आदि नहीं ।
   ·         माँस और शराब का सेवन न करें ।
   ·         काला कुत्ता पालें और उसका पूरा ध्यान रखें ।
   ·         शनि यंत्र धारण करें ।
   ·         शनिदेव की पुजा करें ।
   ·         शनिवार के दिन अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर वजन करके , बादाम नदी में प्रवाहित करने का कार्य करें ।



शनि ग्रह दोष निवारण के लाल किताब के उपाय

शनि ग्रह दोष निवारण के लाल किताब के उपाय






1.  प्रथम भाव मैं शनि होतो
     ·         अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाए ।
     ·         शनिवार के दिन न तो तेल लगाए और न हे तेल खाए ।
     ·         तांबे के बने हुए चार साँप शनिवार के दिन नदी में प्रवाहित करे ।
     ·         भगवान शनिदेव या हनुमान जी के मंदिर में जाकर यह प्रथना करे की प्रभु ! हमसे जो पाप हुए हैं , उनके लिए हमे क्षमा करो , हमारा कल्याण करो ।
     ·         जब भी आपको समय मिले शनि दोष निवारण मंत्र का जाप करे ।

2.   दूसरे भाव में शनि होतो

     ·         शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे ।
     ·         साँपो को दूध पिलाए कभी भी साँपो को परेशान न करे , न ही मारे ।
     ·         दो रंग वाली गाए / भैस कभी भी न पालें ।
     ·         अपने ललाट पर दूध / दही का तिलक करे
     ·         रोज शनिवार को कडवे तेल का दान करें ।
     ·         शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डाले ।
     ·         सोते समय दूध का सेवन न करें ।
     ·         शनिवार के दिन सिर पर तेल न लगाएं ।


3.  तीसरे भाव में होतो

     ·         आपके घर का मुख्य दरबाजा यदि दक्षिण दिशा की ओर हो तो उसे बंद करवा दे ।
     ·          रोज शनि चालीसा पढ़ें तथा दूसरों को भी शनि चालीसा भेंट करें ।
     ·         शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे ।
     ·          गले में शनि यंत्र धारण करें ।
     ·         मकान के आखिर में एक अंधेरा कमरा बनवाएँ ।
     ·         अपने घर पर एक काला कुत्ता पाले तथा उस का ध्यान रखें ।
     ·         घर क अंदर कभी हैंडपम्प न लगवाएँ ।

4.  चतुर्थ भाव में शनि होतो

     ·         रात में दूध न पिये ।
     ·         पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएँ ।
     ·         कौवों को दना खिलाएँ ।
     ·         सर्प को दूध पिलाएँ
     ·         काली भैस पालें ।
     ·         कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें ।
     ·         एक बोतल शराब शनिवार के दिन बहती नदी में प्रवाहित करें ।

5.  पंचम भाव में शनि होतो
     ·         पुत्र के जन्मदिन पर नमकीन वस्तुएं बांटनी चाहिए । मिठाई आदि नहीं ।
     ·         माँस और शराब का सेवन न करें ।
     ·         काला कुत्ता पालें और उसका पूरा ध्यान रखें ।
     ·         शनि यंत्र धारण करें ।
     ·         शनिदेव की पुजा करें ।
     ·         शनिवार के दिन अपने भार के दसवें हिस्से के बराबर वजन करके , बादाम नदी में प्रवाहित करने का कार्य करें ।

6.    छठवाँ भाव में शनि होतो

    ·         चमड़े के जूते , बैग , अटैची आदि का प्रयोग न करें ।
    ·         शनिवार का व्रत करें ।
    ·         चार नारियल बहते पनि में प्रवाहित करें । ध्यान रहे , गंदे नाले मे नहीं करें , परिणाम बिल्कुल उल्टा होगा ।
    ·         हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएँ ।
    ·         शनि यंत्र धारण करें ।


7.   सप्तम भाव में शनि होतो
    ·         पराई स्त्री से अवैध संबंध कदापि न बनाएँ ।
    ·         हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएँ ।
    ·         शनि यंत्र धारण करें ।
    ·         मिट्टी के पात्र में शहद भरकर खेत में मिट्टी के नीचे दबाएँ । खेत की जगह बगीचे में भी दबा सकते हैं ।
    ·         अपने हाथ में घोड़े की नाल का शनि छल्ला धारण करें ।

8.  अष्टम भाव में शनि होतो
    ·         गले में चाँदी की चेन धारण करें ।
    ·         शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे ।
    ·         शनिवार के दिन आठ किलो उड़द बहती नदी में प्रवाहित करें । उड़द काले कपड़े में बांध कर ले जाएँ और बंधन खोल कर ही प्रबहित करें ।
    ·         सोमवार के दिन चावल का दान करना आपके लिए उत्तम हैं ।
    ·         काला कुत्ता पालें और उसका पूरा ध्यान रखें ।


9.   नवम भाव में शनि होतो
   ·         पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें ।
   ·         साबुत मूंग मिट्टी के बर्तन में भरकर नदी में प्रवाहित करें ।
   ·         साव 6 रत्ती का पुखराज गुरुवार को धारण करें ।
   ·         कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें ।
   ·         हर शनिवार के दिन काली गाय को घी से चुपड़ी हुई रोटी नियमित रूप से खिलाएँ ।
   ·         शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डाले ।



10.    दशम भाव में शनि होतो
    ·         पीले रंग का रुमाल सदैव अपने पास रखें ।
    ·         आप अपने कमरे के पर्दे , बिस्तर का कवर , दीवारों का रंग आदि पीला रंग की करवाएँ यह   आप के लिए उत्तम रहेगा ।
    ·         पीले लड्डू गुरुवार के दिन बाँटे ।
    ·         आपने नाम से मकान न बनवाएँ ।
    ·         अपने ललाट पर प्रतिदिन दूध अथवा दही का तिलक लगाए ।
    ·         शनि यंत्र धारण करें ।
    ·         जब भी आपको समय मिले शनि दोष निवारण मंत्र का जाप करे ।


11.    एकादश भाव में शनि होतो

    ·         शराब और माँस से दूर रहें ।
    ·         मित्र के वेश मे छुपे शत्रुओ से सावधान रहें ।
    ·         सूर्योदय से पूर्व शराब और कड़वा तेल मुख्य दरवाजे के पास भूमि पर गिराएँ ।
    ·         परस्त्री गमन न करें ।
    ·         शनि यंत्र धारण करें ।
    ·         कच्चा दूध शनिवार दिन कुएं में डालें ।
    ·         कौवों को दना खिलाएँ ।


12.    बारह भाव में शनि होतो
    ·         प्रथम जातक झूठ न बोले ।
    ·         शराब और माँस से दूर रहें ।
    ·         चार सूखे नारियल बहते पनि में परवाहित करें ।
    ·         शनि यंत्र धारण करें ।
    ·         शनिवार के दिन काले कुत्ते ओर गाय को रोटी खिलाएँ ।
    ·         शनिवार को कडवे तेल , काले उड़द का दान करे ।
    ·         सर्प को दूध पिलाएँ


लाल किताब के शनि के प्रयोग आगे .....................................
चतुर्थ भाव में शनि का प्रभाव

चतुर्थ भाव में शनि का प्रभाव


   1.    यदि जन्म कुंडली में शनि चतुर्थ भाव में होतो जातक गृहहीन और माता नहीं होती या उसको कष्ट होता हैं ।  ऐसा व्यक्ति बचपन में रोगी भी रहता है । यह भाव सुख का भाव माना जाता हैं । अतः इधर शनि बैठ कर सुख को नष्ट करता है ।  
इसी कारण जातक सदा दुखी रहता है  ।
   2.    जातक तथा उसके माता – पिता के मध्य हमेशा कलह रहती हैं । जातक बंधु विरोध तथा झूठे आरोपो से दुखी रहता है ।
   3.    चौथे भाव में शनि पित्त तथा वायु विकार से ग्रस्त रखता है  ।
   4.    चौथे घर में शनि से अनुमान लगाया जाता है की माता की म्रत्यु पिता से पहले होती है  ।
   5.    अभिभावक से जातक के विचार और सोच एक दूसरे से विरुद्ध होते है  । 
   6.    मेष , व्रष , सिंह , तुला , धनु , व्रश्चिक , मीन और मिथुन वालों को सरकारी सेवाए प्रदान करता है ।
   7.     जातक की रुचि वैज्ञानिक विषयों में होती हैं ।
   8.    जातक को व्यापार के प्रारम्भ में अनेक घोर संकट प्रकट होते है ।
   9.    जातक का 36वें तथा 56वें  वर्ष उत्तम होते है ।   
  10.  पश्चिम दिशा प्रगति के अनुकूल होती है ।
  11.   शनि अपनी राशि या अपनी उच्च राशि पर होतो दोषो का परिहार हो जाता है ।
पेत्रक स्थान त्यागने पर भी जातक की दुर्भाग्य से मुक्ति नहीं मिल पाती । 
तीसरे भाव में शनि प्रभाव

तीसरे भाव में शनि प्रभाव


   1.       अगर कुंडली में तीसरे भाव में शनि होतो जातक बुद्धिमान और उदार होता हैं , तथा इसे स्त्री का सुख भी प्राप्त होता हैं , किंतु वह आलस्य से भरपूर मलिन देह वाला , नीच प्रवर्ती  का होता हैं । चित में हमेश अशांति ऐसे शनि के प्रभाव हैं ।
   2.       आपने लोगो से संघर्षपूर्ण स्थितियो और कठोर परिश्रम के बाद भी मिलने वाली असफलता जातक को परेशान करती हैं ।
   3.       सोभाग्य के उदय में विभिन्न बधाये प्रकट होती हैं ।
   4.       अनेक लोग अवलंबित रहते हैं । भाइयो से तनावपूर्ण संबंध रहते हैं और कलेश प्राप्त होता हैं ।
   5.       तीसरे भाव क शनि कुंडली जब होते हैं तब जातक को माता पिता से मात्र आशीर्वाद क अलावा और कुछ प्राप्त नहीं होता ।
   6.       पुरुष राशि में शनि तीसरे भाव में संतान जल्दी होती हैं , परंतु गर्भपात की समभावनए प्रबल रहती हैं ।
   7.       पाप ग्रह युक्त शनि से भइयो का अहित करता हैं । पापयुक्त शनि से भाई जातक से दुएष रखने वाले होगे । 
कुंडली मैं 2nd घर में शनि का प्रभाव और उपाय

कुंडली मैं 2nd घर में शनि का प्रभाव और उपाय






 1.  जिस जातक की कुंडली में 2nd घर में शनि हो , वह लकड़ी संबंधी व्यापार ,
कोयला एवं लोहे के व्यापार में धन अर्जित करता हैं । उसे निंदित कार्यो तथा साधनों से प्रचुर संपाति प्राप्त होती हैं । वह श्रेष्ठ व बिना स्वीकारी जाने वाली विधाओ का अध्यन करता हैं ।
 2.  भृगु सूत्र के अनुसार दूसरे भाव में शनि से जातक निर्धन होता हैं । आंखो की बीमारियाँ उसे कष्ट देती रहेगी । ऐसे जातक के दो विवहा भी हो सकते हैं । जातक किसी धार्मिक स्थान का कर्ता – धर्ता होता हैं । और स्त्री वर्ग को मूर्ख बनाकर धन इकट्टा कर्ता हैं ।
 3.   जातक को राजकीय अनुकंपा भी मिलती हैं ।
 4.  दूसरे भाव में शनि जातक को परिवार से दूर कर्ता हैं । ऐसा जातक सुख साधन – समार्धी की खोज में दूर देश – विदेश की यात्रा कर्ता हैं ।
उसका भाग्योद्ये पैत्रक निवास से दूर होता हैं ।
 5.  जातक झूठ बोलने बाला , चंचल , बातूनी तथा दूसरों को मूर्ख बनाने में अच्छा होता हैं ।
 6.  ऐसा जातक पिता के साथ रहा कर धन कभी अर्जित कभी नहीं कर सकता ।
 7.  यदि शनि दूसरे घर में होतो जातक का चेहरा अच्छा न होगा ।
 8.  ऐसा जातक को किसी न किसी प्रकार के नशे(पान , सिगरेट , शराब आदि ) की आदत होती हैं ।
      

                           
                   
                     शनि के लाल किताब के उपाय 
                    
·         शराब का त्याग करे और मांसाहार भी न करे ।
  ·         साँपो को दूध पिलाए कभी भी साँपो को परेशान न करे , न ही मारे ।
  ·         दो रंग वाली गाए / भैस कभी भी न पालें ।
  ·         अपने ललाट पर दूध / दही का तिलक करे
  ·         रोज शनिवार को कडवे तेल का दान करें ।
  ·         शनिवार के दिन किसी तालाब, नदी में मछलियों को आटा डाले ।

बारह भावो में शनि का फल - प्रथम भाव

बारह भावो में शनि का फल - प्रथम भाव



प्रथम भाव में अगर शनि हो तो वह अपनी महादशा में हानि फल देता हैं , लेकिन तुला व मकर लग्न का हो तो फल अच्छा होता हैं । वैधनाथ के अनुसार ऐसा जातक कई प्रकार की व्याधि से ग्रस्त होता हैं । उसका कोई अवश्य ही दोषयुक्त होता हैं ।
1.   प्रथम भाव का शनि जातक को जीवन भर दुख देता हैं । जातक अपनी ही बात पर हमेशा अटल                                                    रहने वाला , स्वहित साधन में तल्लीन रहता हैं । अगर शनि शुभ संयोग युक्त होतो भाग्य शीघ्र अपना प्रभाव दिखाता हैं ।
 ग्रहमंडल में शनि विचित्र और दूरस्थ ग्रह हैं। इसकी स्थिति का प्रभाव इसके परिणामों पर स्पस्ट होता हैं । एकांतिकता, आलस्य , उदासिनता, शनि के स्वाभाविक लक्षण हैं । -- पाश्चात्य ज्योतिषी कटवे के अनुसार मेष , सिंह , धनु , कर्क , मीन और व्रश्चिक राशियो में स्थित शनि – जातक की आजीविका , कार्यालयो से संबन्धित होता हैं । पद की उन्नति उचधिकारियों से संघर्ष करते - करते होती हैं । जीवन में अधिकार भावना प्रचुर होती हैं । प्रायः नौकरी को उचित मानने वाले जातक ऐसे शनि से प्रभावित होते हैं । उनका दांपत्य जीवन कलहपूर्ण होता हैं ।

2.   ऐसे जातक का भाग्योदय भागीदारी से होता हैं । पैत्रक संपति में विवाद होता हैं ।
26वे वर्ष में स्वतंत्र व्यापार आरंभ होगा , 36वे वर्ष में सुनिश्चित भाग्योदय होता हैं ।
56 वर्ष तक जीवन चिंता आदि से रहित रहता हैं । 25,27, 32वे वर्ष अप्रिय होते हैं ।
यदि प्रथम भाव में स्थित शनि – शुक्र से दूषित हो तो प्रभावों में परिवर्तन होता हैं ।
दाम्पत्य कलह , पत्नी की मृत्यु , धन और पुत्र में किसी एक की क्षति , व्यवसाय में विघ्न अथवा हानि आदि इसके कुफ़ल हैं ।